एनटीआई न्यूज ब्यूरो.
निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आधार कार्ड को धीरे धीरे सभी योजनाओं में अनिवार्य बना रही केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को एक बड़े फैसले में कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है. नौ जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से दिए अपने फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए अधिकारों के अंतर्गत प्राकृतिक रूप से निजता का अधिकार संरक्षित है. उन्होंने कहा कि निजता की सीमा तय की जा सकती है हालांकि नया कानून बनने पर निजता के अधिकार को चुनौती संभव है.
अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि निजी सूचना लीक नहीं की जा सकती. अदालत के इस फैसले के बाद अब आधार कार्ड, पेन कार्ड, क्रेडिट कार्ड संबंधी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकेगी. संविधान पीठ ने इस फैसले से एमपी सिंह और खडग सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले को भी पलट दिया. इन दोनों मामलों में कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकारों की श्रेणी से बाहर रखा था.
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ आधार कार्ड मामले में निजता के अधिकारों के संबंध में सुनवाई कर रही थी. संविधान पीठ ने दो अगस्त को फैसला सुरक्षित रखते हुए सार्वजनिक दायरे में आई निजी सूचनाओं के संभावित दुरूपयोग को लेकर चिंता जतायी थी. पीठ ने कहा था कि मौजूदा सूचना तकनीक के दौर में निजता के संरक्षण की अवधारणा एक हारी हुई लड़ाई है. इससे पहले, 19 जुलाई को सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की थी कि निजता का अधिकार मुकम्मल नहीं हो सकता और सरकार के पास इस पर उचित प्रतिबंध लगाने के कुछ अधिकार हो सकते हैं.
केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने कोर्ट में दलील दी थी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों के दायरे में नहीं आ सकता क्योंकि वृहद पीठ के फैसले कहते हैं कि यह सिर्फ न्यायिक व्यवस्थाओं के माध्यम से विकसित एक सामान्य कानूनी अधिकार है. केन्द्र ने भी निजता को एक अनिश्चित और अविकसित अधिकार बताया था जिसे गरीब लोगों को जीवन, भोजन और आवास के उनके अधिकार से वंचित करने के लिये प्राथमिकता नहीं दी जा सकती.
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों से निजी सूचनाओं को साझा करने के डिजिटल युग के दौर में निजता के अधिकार से जुडे अनेक सवाल पूछे. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि निजता का अधिकार सबसे अधिक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार जीने की स्वतंत्रता में ही समाहित है यानी स्वतंत्रता के अधिकार में ही निजता का अधिकार शामिल है.