गाजियाबाद. अखिलेश सरकार में शहर के सौदर्यकरण को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की राजधानी समेत प्रमुख शहरों में साईकिल ट्रैकों का निर्माण कराया गया था। महानगर गाजियाबाद में 23 करोड़ से अधिक की लागत से शहरभर में 100 किलोमीटर में साईकिल ट्रैक
का निर्माण कराया गया। ट्रैक बनने के बाद में सौदर्यकरण तो हो गया, लेकिन इसकी वजह से सड़के छोटी हो गई। सुबह और शाम के समय में लोगों को इनपर ट्रैफिक का सामाना करना पड़ता है। वहीं ट्रैक पर भी अब पार्किग और पटरी वाले दुकानदारों ने कब्जा जमा लिया है।
इसकी वजह से साईकिल ट्रैक का औचित्य खत्म सा हो गया है।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने शहर की मुख्य सड़कों पर करीब सौ किलोमीटर लंबा साइकिल ट्रैक बनवाया है। सूर्यनगर में बृजविहार से दिल्ली बॉर्डर तक घरों के आगे साइकिल ट्रैक बनाया गया है। इसके बनने से लोगों के सामने पार्किंग की समस्या उत्पन्न हो गई है।
उपयोग नहीं होने के कारण लोगों ने साइकिल ट्रैक पर वाहन खड़े करने शुरू कर दिए हैं। कई जगह साइकिल ट्रैक पर ही कूड़ा डाला जा रहा है। साइकिल ट्रैक डंपिंग जोन में तब्दील हो गया है।
जीडीए द्वारा खर्च किए गए लाखों रुपये बर्बाद हो रहे हैं। साइकिल ट्रैक पर अतिक्रमण का मुख्य कारण कई जगहों पर मार्केट के आगे साइकिल ट्रैक का निर्माण किया जाना है। दुकानदार बार-बार अतिक्रमण कर लेते है। इसके साथ ही घरों के आगे बने रैंप भी साइकिल ट्रैक पर आ रहे हैं, जिसकी वजह से कब्जे का शिकार हो गए है।
चीफ इंजीनियर के मुताबिक इंदिरापुरम क्षेत्र में 22 किलोमीटर का ट्रैक बना इस पर आठ करोड़, मोहन नगर से भोपुरा 16 किमी के लिए 13 करोड़ रुपये, सूर्यनगर में डेड करोड़ रूपये और शहर के औद्योगिक क्षेत्र समेत कुल मिलाकर 23 करोड़ से अधिक का रूपया इस पर खर्च
किया गया है।
एई चंक्रेश जैन के मुताबिक साईकिल ट्रैक पर दुकादारों द्वारा किए गए अतिक्रमण को निपटाने
के लिए प्राधिकरण की तरफ से कड़े कदम उठाए जाने की तैयारी की जा रही है। पहले सभी को
नोटिस देकर अतिक्रमण खत्म करने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद में बल के साथ मिलकर
साईकिल ट्रैक को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।