फिरोजाबाद। तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे में करोड़ों रूपए का घोटाला सामने आया है। कृषि भूमि को आबादी घोषित कर मुआवजे में करोड़ों का हेर फेर कर दिया गया। एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए सिरसागंज तहसील के गांव बछेला-बछेली के किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। जब भूमि अधिग्रहण की जांच की गई तो इसमें करोड़ों का
घालमेल सामने आया। यूपीडा अधिकारी ने अधिग्रहित की गई भूमि का आबादी भूमि के हिसाब से भुगतान करने की बात कही। डीएम नेहा शर्मा ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दे दिए थे।
एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए अधिग्रहण करने के लिए सात अक्टूबर 2013 व 30 दिसंबर 2013 को नोटिफिकेशन किया गया। इसमें उक्त गाटा के सम्मुख भू अभिलेख (खतौनी) में बंदोबस्त अधिकारी, चकबंदी का लगान मुक्त किए जाने संबंधी कोई आदेश अंकित नहीं था। जांच में सामने आया कि चकबंदी अधिकारियों से साठगांठ कर 30 जुलाई 2012 में इसे आबादी भूमि में दिखा दिया। दो साल बाद 18 अप्रैल 2014 को इसे खतौनी में चढ़वाया गया।
डीएम के निर्देश पर शिकोहाबाद थाने में तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी, चकबंदी मैनपुरी-फिरोजाबाद नितिन चौहान, भगवान स्वरूप त्रिपाठी तत्कालीन सहायक चकबंदी अधिकारी फिरोजाबाद, दफेदार खां तत्कालीन रीडर न्यायालय बंदोबस्त अधिकारी, वीरेंद्र
कुमार द्विवेदी (सेवानिवृत) चकबंदीकर्ता और अनिल कुमार चकबंदी लेखपाल। इसके अलावा नगला छीते ग्राम बछेला-बछेली शिकोहाबाद निवासी अरविंद कुमार, महिपाल सिंह, सुरेश, राम कैलाश, सुमन देवी, रमेश, सत्याराम, राम सेवक, जगदीश, रामनाथ, लाढ़ो देवी, श्रीकृष्ण, श्रीराम, अभय प्रताप उर्फ धर्मेंद्र कुमार, श्याम सिंह, बलेश्वरी प्रसाद, फुलवासा देवी, विद्याराम, जमुना देवी, सुघर सिंह, शिवराम, अनिल कुमार के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया।