बाजार नियंत्रक संस्था सेबी ने धोखाधड़ी के मामलों में रिलायंस पर 1000 करोड़ का भारी जुर्माना लगाया है. यह सेबी के 20 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा है. 2007 के एक केस में सेबी ने रिलायंस और रिलायंस से संबंधित 12 संस्थाओं को दोषी पाया है.
24 मार्च 2017 को सेबी की वेबसाइट पर डाली गई जानकारी के मुताबिक, रिलायंस और उससे संबंधित 12 संस्थाओं ने सेबी एक्ट 1992 की धारा 12 ए और सेबी रेगुलेशन, 2003 का उल्लंघन किया है. सेबी ने रिलायंस सहित 13 संस्थाओं को अगले एक साल तक एफ एंड ओ (फ्यूचर एंड ऑपशन्स) सेगमेंट के इक्विटी डेरीवेटिव में लेन-देन पर पाबंदी लगाई है.
सेबी ने रिलायंस को 447.27 करोड़ वापस करने के लिए कहा है. रिलायंस को इस पैसे पर 12 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज भी देना होगा. यह आंकड़ा लगभग 500 करोड़ रुपये पहुंचता है. रिलायंस को पैसे जमा करने के लिए 45 दिन का वक्त मिला है.
रिलायंस करेगी अपील?
एक ईमेल में रिलायंस ने कहा,
रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड के जिन ट्रांजेक्शन्स की जांच सेबी ने की है वो सही और प्रामणिक हैं, इन्हें कंपनी और शेयर धारकों के हित में लिया गया था. ऐसा लगता है सेबी ने ट्रांजेक्शन्स को गलत समझा और गलत प्रतिबंध लगाए हैं.
रिलायंस कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रही है. साथ ही सेबी के आदेश को सिक्योरिटी अपॉलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती देने का प्लान भी बना रही है.