सौर ऊर्जा की कीमतें ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। आंध्र प्रदेश के कडप्पा में 250 मेगावॉट के अल्ट्रा मेगा सोलर पावर पार्क के लिए एनटीपीसी द्वारा मंगाई गई बोली में सबसे कम 3.15 रुपये प्रति यूनिट की बोली प्राप्त हुई। बोली जीतने वाली कंपनी 25 वर्षों तक इसी दर पर शुल्क वसूलेगी और उसमें कोई इजाफा नहीं होगा।
पिछले महीने 750 मेगावॉट के रीवा सोलर पार्क के लिए सबसे कम 2.97 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगाई गई थी लेकिन इस परियोजना के लिए 25 वर्षों तक औसत सौर ऊर्जा दर 3.30 रुपये प्रति यूनिट थी। इसमें लागत में सालाना वृद्घि को भी शामिल किया गया है। कडप्पा परियोजना के लिए 15 घंटे तक बोली चली जिनमें फ्रांस की अक्षय ऊर्जा कंपनी सोलियरडायरेक्ट सबसे कम बोलीदाता के तौर पर उभरी। बोली लगाने वाली अन्य कंपनियों में जेनको एनर्जी, एज्यूर पावर, महिंद्रा रीन्यूएबल्स और ऑस्ट्रो एनर्जी आदि शामिल थीं।
सोलर ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि कडप्पा परियोजना की पेशकश एनटीपीसी द्वारा की गई थी, और इस परियोजना से बिजली की खरीद और भुगतान की निश्चिंतता थी, जिससे निजी कंपनियों को इसमें भरोसा बढ़ा। रीवा और कडप्पा दोनों परियोजना से बिजली की खरीद और राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रम (आंध्र प्रदेश के मामले में) सॉवरिन गारंटी दी गई थी। विशेषज्ञों ने कहा कि यही वजह है कि परियोजना के डवेलपरों ने इसके लिए न्यूनतम बोली लगाई।
कम बोली की एक अन्य वजह पैनल की कीमतों में गिरावट है। गंगेज इंटरनैशनल प्रा. लि. के मुख्य कार्याधिकारी विनय गोयल ने कहा, ‘इस साल सोलर मॉडï्यूल की वैश्विक कीमतों में 20 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। वर्तमान में टियर 1 के मॉड्यूल विनिर्माता 31 से 33 सेंट कीमत वसूलेते हैं। लेकिन चीन से आपूर्ति बढऩे से 2017 की दूसरी छमाही में इसकी कीमतें घटकर 27 से 30 सेंट रह सकती हैं।’ सौर ऊर्जा उद्योग को आगे सोलर मॉडï्यूल की कीमतों में और गिरावट की उम्मीद है, क्योंकि चीन में पैनल विनिर्माताओं को मांग की कमी से जूझना पड़ रहा है।
आक्रामक बोली की एक वजह यह भी रही कि राज्यों की ओर से पेश की जा रही परियोजनाओं की संख्या कम हो रही है और फिलहाल कोई बड़ी परियोजना भी चर्चा में नहीं है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने हाल ही में खबर प्रकाशित की थी कि राज्यों के पास फिलहाल मेगा सोलर पावर परियोजनाएं लगभग खत्म होने को है। इसके साथ ही कुछ राज्य निविदा को टाल रहे हैं, वहीं कुछ निविदा के आकार को छोटा कर रहे हैं क्योंकि वे अपनी वितरण कंपनियों पर नवीनीकृत ऊर्जा का ज्यादा बोझ डालना नहीं चाह रहे हैं।
नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र की सलाहकार ब्रिज टु इंडिया ने कहा, ‘नई सौर ऊर्जा परियोजनाओं की निविदा की घोषणा और परियोजनाओं के आवंटन में काफी कमी आई है। पिछले साल की तुलना में देखें तो इसमें क्रमश: 70 फीसदी अैार 33 फीसदी तक की गिरावट आई है। नई परियोजनाओं के आवंटन में गिरावट का यह रुख अगले 6 महीने तक और जारी रह सकता है।’
