अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच बढ़ते तनाव के बीच साउथ कोरिया के नये राष्ट्रपति मून जे इन ने नॉर्थ कोरिया से रिश्ते सुधारने की पहल की है. राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया के मून जे इन ने जीत दर्ज कर साउथ कोरिया में कंजरवेटिव शासन का अंत कर दिया है. मून एक उदारवादी विचारधारा के नेता माने जाते हैं.
मून जे इन ने शपथ लेने के ठीक बाद परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच प्योंगयांग जाने की इच्छा जताई. इसे नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के साथ बातचीत शुरू करने का संकेत माना जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि साउथ कोरिया के राष्ट्रपति बने मून जे इन नॉर्थ कोरियाई शरणार्थी के बेटे हैं. नॉर्थ कोरिया के साथ तनाव के माहौल में संपन्न हुए इस चुनाव में जीते मून जे इन पड़ोसी देश के साथ अच्छे संबंध बनाने के पक्षधर हैं जबकि पूर्व राष्ट्रपति पार्क गून हे ने नॉर्थ कोरिया के साथ सभी संबंध तोड़ लिये थे. 64 वर्षीय मून इससे पहले 2012 में भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़े थे और पार्क गून हे से हार गये थे. पूर्व राष्ट्रपति पार्क गून हे भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप के चलते सत्ता गंवा बैठे और अब वह जेल में हैं.
मून जे इन की जीत के साथ ही साउथ कोरिया में उस राजनीतिक अस्थिरता का भी अंत हो गया है जिसका सामना वो पिछले कुछ समय से कर रहा था. एक तरफ राष्ट्रपति को जेल जाना पड़ा तो दूसरी ओर पड़ोसी राष्ट्र नॉर्थ कोरिया एक के बाद एक परमाणु परीक्षण कर दुनिया में तनाव बढ़ा रहा है. पिछले दिनों साउथ कोरिया में अमेरिकी थाड मिसाइलें तैनात किये जाने का भी काफी विरोध हुआ था. बीते साल से हाल के कुछ महीनों तक मून पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन की अगुआई करते दिख रहे थे. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के जानकार मानते हैं कि मून का राष्ट्रपति बनना अमेरिका को रास नहीं आयेगा क्योंकि उन्हें अमेरिका विरोधी माना जाता है. वह नॉर्थ कोरिया के साथ नए स्तर से संबंध बनाने के हिमायती हैं और इस मसले पर कंजरवेटिव सरकारों की आलोचना भी कर चुके हैं. जबकि कंजरवेटिव समर्थकों की चिंता है कि मून की उदारवादी नीतियां नॉर्थ कोरिया के साथ व्यापार को बढ़ावा देंगी तो उससे होने वाला आर्थिक लाभ पड़ोसी देश परमाणु कार्यक्रम को तेज करने में लगायेगा.