लखनऊ। पिछली सरकार की महत्कांक्षी योजनाओं की जांच के आदेश योगी आदित्यनाथ पहले ही दे चुके हैं अब उन्होंने आज़म खान के विभाग में हुए कार्यों को भी अपनी चेक लिस्ट पर ले लिया है। जैसे-जैसे विभागों की ओर से सीएम के सामने परियोजनाओं का प्रजेंटेशन हो रहा है जांच का खतरा भी उनपर बढ़ता जा रहा है। नगर विकास विभाग के प्रजेंटेशन के बाद जेएनआरयूएम योजना में हुए कार्यों की गुणवक्ता देखने के लिए अब जांच बिठा दी गई है। नगर विकास विभाग द्वारा इस योजना के कार्यों में हो रही अनदेखी की शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची थी। उसपर संज्ञान लेते हुए सीएम ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है।
सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से नाराज़गी जताते हुए नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना को इस बारे में तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है। सीएम ने जल निगम की कार्य संस्कृति पर असंतोष जताते हुए इसमें सुधार लाने की नसीहत भी दी है। उन्होंने राजधानी सहित कानपुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, गोरखपुर जिले में जल आपूर्ति के लिए संबंधित परियोजनाओं को समय से पूरा करने के आदेश दिए हैं।
इसी के साथ स्वच्छ भारत मिशन को भी बढ़ावा देते हुए अधिक से अधिक शौचालय निर्माण करने के आदेश दिए हैं। सीएम ने अधिकारियों को शहरों में बने शौचालय की स्थिति का सर्वे करने के साथ ही शौचालय निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी लखनऊ में एक शौचालय को 12हज़ार 885 लोग इस्तेमाल करते हैं। दरअसल लखनऊ की जनसंख्या 30 लाख से ज्यादा है। स्वच्छ भारत के मानक अनुसार सार्वजनिक शौचालय 5 हज़ार के आसपास होने चाहिए जो की मौजूदा वक्त में 250 के
करीब है। एक उदाहरण यह भी है कि 1 मई 2016 को नगर आयुक्त ने आदेश दिए थे कि खुले में शौच करने पर पांच सौ रूपए का फाइन लगाया जाए। लेकिन शायद नगर निगम की नज़र में हर कोई जागरूक है और कोई खुले में शौच नहीं कर रहा है।
शहर में मौजूदा समय में कूड़ा निस्तारण के 450 कचरे के डिब्बे ही मौजूद है। जबकि शहर स्वच्छ भारत मिशन की रैंकिंग के मानकों के हिसाब से शहर में डिब्बो की संख्या 1 हज़ार के करीब होनी चाहिए। ऐसे में शहर कैसे साफ़ होगा यह एक बड़ा सवाल है। इस समस्या को बढ़ावा देता है शहर का डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन प्लान जो की शहर के 20 प्रतिशत क्षेत्र तक ही सीमित है।