सरकारी बंगलों कब बेदखल होंगे ये पूर्व मुख्यमंत्री गणम कोर्ट की सख्ती के बाद अब राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती, कल्याण सिंह और एन.डी. तिवारी को अपना बंगला खाली करना पड़ेगा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले खाली नहीं कराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सूबे की योगी सरकार से पूछा है कि आखिर उसके आदेश पर अब तक क्यों नहीं अमल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सूबे की सरकार के संपदा निदेशक को तीन सप्ताह में यह जवाब दाखिल करने को कहा है। जिसमें उन्हें यह बताना होगा कि आखिर किन वजहों से अब तक पूर्व मुख्यमंत्री को आवंटित बंगले नहीं खाली कराए गए।
पूर्व मुख्यमंत्रियों में राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती, कल्याण सिंह और एन.डी. तिवारी कोलखनऊमें पूर्व सीएम होने के नाते सरकारी आवास मिला हुआ है। जिसे लेकर एक एनजीओ ‘लोक प्रहरी’ ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी और सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाए गए उस नियम को खत्म कर दिया था जिसमें सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास उपलब्ध कराए जाने का प्रावाधान किया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश को खारिज करते हुए इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो महीने के भीतर सरकारी आवास खाली करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जब पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने बंगले नहीं खाली किए तो एनजीओ ने कोर्ट से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की। एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के एक अगस्त 2016 के फैसले के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित बंगले नहीं खाली कराए गए। जिन मुख्यमंत्रियों के बंगले नहीं खाले गए उनमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती और एन डी तिवारी हैं। एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव जिनका निधन हो चुका है उनके आवास पर उनका परिवार रहता है। राजनाथ सिंह के बंगला न खाली करने के मामले में जवाब देने के लिए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने समय मांगा है ताकि वह पता कर सकें कि उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित बंगले को खाली किया है या नहीं।
सीएम योगी ने भी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही अखिलेश सरकार के उस बड़े फैसले को पलटने का मन बना लिया था जिसमें यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री आवास नियम 1997 के तहत यूपी के पूर्व सीएम पद से हटने के बाद भी जीवन भर सरकारी आवास में रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आवास नियम को खारिज करने के बाद अखिलेश सरकार ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश मंत्री (संशोधन) विधेयक-2016 पारित करा लिया था। इस विधेयक के तहत न केवल मुख्यमंत्री, मंत्री, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्यमंत्री के वेतन भत्तों को पुनरीक्षित किया गया था बल्कि सुरक्षा का हवाला देकर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास व अन्य सुविधाएं भी मुहैया करा दी गईं थी। वहीं उस वक्त मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आवास को अपने नाम से एलॉट करवाया और उसमें तमाम बदलाव करके एक भव्य स्वरूप प्रदान करने के बाद वहां शिफ्ट हो गए। चुनाव हारने के बाद भी बतौर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यहीं पर रह रहे हैं।