देहरादून : लंबी जद्दोजहद, जनता के विरोध और असमंजस से बाहर निकलते हुए उत्तराखंड सरकार ने राज्य की नई आबकारी नीति को हरी झंडी दे दी है। आज सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की कैबिनेट की बैठक में आबकारी नीति के तहत 2310 करोड़ आय का लक्ष्य लक्ष्य निर्धारित किया गया। साथ ही तय किया गया कि शराब पर दो फीसद सेस लगाया जाएगा। सेस की यह धनराशि सामाजिक सुरक्षा और सड़क सुरक्षा पर खर्च होगी।उत्तराखंड में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद शराब नीति के मामले में बड़ी चुनौती पेश आई। राज्य के सभी जिलों में शराब विरोधी आंदोलन शुरू हो गए। इसके मूल में राष्ट्रीय राजमार्गों से शराब की दुकानों को हटाना कारण रहा। शासन ने फौरी व्यवस्था करते हुए राष्ट्रीय राजमार्गों से हटने वाली दुकानों को नजदीक ही ऐसे मार्गों पर स्थानांतरण कर दिया जो राज्य मार्ग की श्रेणी में आते हैं, लेकिन जनता ने शासन की इस नीति को स्वीकार नहीं किया और यह फैसला बाउंस बेक होकर सरकार के गले की फांस बन गया।
इसके बाद सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए कई राष्ट्रीय राजमार्गों को जिला मार्ग घोषित किया। इसके बावजूद शराब विरोधी आंदलन थमने के बजाय और फैल गए। वर्तमान में स्थिति यह है कि पहाड़ों के साथ ही मैदानी जिलों में भी शराब विरोधी आंदोलन सरकार की सबसे बड़ी मुश्किल बने हैं। इस हालात में आज कैबिनेट ने नई शराब नीति को मंजूरी दे दी।
हालांकि इस नई नीति का जनता पर क्या प्रभाव होगा, यह भविष्य की गर्त में है, लेकिन सरकार को राजस्व के एक अहम साधन शराब की बिक्री को लेकर फिलहाल राहत मिलती दिख रही है। इसके पीछे सरकार की यह घोषणा भी है कि शराबबंदी करते हुए जल्द ही राज्य की कुल दुकानों का एक तिहाई को प्रथम चरण में कम कर दिया जाएगा।
इससे सरकार को उम्मीद है कि जनता का गुस्सा थमेगा और राजस्व की भी हानि नहीं होगी। कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि पर्वतीय जिलो में शराब की दुकानें खुलने का समय दोपहर 12 बजे से शाम छह बजे तक रहेगा। साथ ही सभी जिलों को शराब के राजस्व का लक्ष्य आवंटित कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि शराब पर लगने वाले दो फीसद सेस में एक फीसद सामाजिक सुरक्षा और एक फीसद सड़क सुरक्षा पर खर्च होगा। एक जून से नई शराब नीति लागू हो जाएगी। यदि किसी दुकान में ओवर रेट की शिकायत, कंप्यूटर बिलिंग की व्यवस्था नहीं होगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसी दुकानों को निरस्त भी किया जा सकता है। साथ ही राज्य में नई डिस्टीलरी भी खोली जाएंगी।