देहरादून : राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण के लिए भू अधिग्रहण में हुए मुआवजा घोटाले में लगातार पड़ रहे दबाव के बीच सरकार अब बीच का रास्ता तलाशती नजर आ रही है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) को लेकर सरकार एटॉर्नी जनरल व एडवोकेट जनरल से इस मामले में विधिक राय भी ले रही है। हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि वह मामले की सीबीआइ जांच कराने के अपने निर्णय पर कायम है। इसके लिए केंद्र को जल्द ही तीसरा रिमाइंडर भेजा जाएगा।
राष्ट्रीय राजमार्ग 74 में घोटाले के मामले में भाजपा ने प्रदेश में सरकार बनाने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में सीबीआइ जांच कराने की संस्तुति की थी। इस दौरान सरकार ने तर्क यह दिया था कि कि मामले में केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी शामिल हैं, इसलिए मामले की सीबीआइ जांच कराई जा रही है। इसके लिए सरकार की ओर से केंद्र को पत्र लिखकर नेशनल हाइवे चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले की जांच कराने का अनुरोध किया था।
जब इस मामले में एक माह तक सीबीआइ से कोई जवाब नहीं आया तो सरकार ने मुख्य सचिव के जरिए फिर से केंद्र को रिमाइंडर भिजवाया। बावजूद इसके केंद्र से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया। इस बीच राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर इस मामले में अपना पक्ष रखा और खुद को निर्दोष बताते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
साथ ही उत्तराखंड में चलने वाली परियोजनाओं को लेकर अधिकारियों के मनोबल पर असर पड़ने की बात कहते हुए दबाव बनाने का भी प्रयास किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस ज्ञापन के साथ एक पत्र मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लिखा। पत्र में उन्होंने प्रदेश सरकार की ओर से मामले में एनएच के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने और मामले की जांच कराने पर अपनी चिंता जताई।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी जोड़ा कि इससे अधिकारियों के मनोबल पर असर पड़ेगा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से नई दिल्ली में मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने साफ किया था कि सरकार मामले की जांच सीबीआइ से कराने के अपने रुख पर कायम है। इस बीच यह बात सामने आई कि एनएचएआइ के चेयरमैन युद्धवीर सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर इस मामले में विभागीय अधिकारियों की किसी भूमिका से इन्कार किया और ऊधमसिंह नगर में दर्ज एफआइआर से नेशनल हाइवे अथॉरिटी के अधिकारियों का नाम हटाने का अनुरोध किया।
हालांकि, सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मदन कौशिक ने कहा कि संभवत: यह वही पत्र है, जो एनएचएआइ ने केंद्रीय मंत्री को भेजा था। उन्होंने कहा कि सीबीआइ जांच से पीछे हटने का सवाल नहीं है। सरकार इस मामले में तीसरा रिमाइंडर केंद्र को भेज रही है। इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी पाए जाएंगे सरकार उन पर कार्यवाही करेगी।