UP पुलिस में डेढ़ लाख से ज़्यादा पद खाली

उत्तर प्रदेश में अपराध को कम करना योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. बीजेपी ने इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनाया था, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश में पुलिस विभाग में 1 लाख 51 हज़ार से ज़्यादा पड़ खाली पड़े हैं. यह खुलासा हुआ है सुप्रीम कोर्ट में जहां सभी राज्यों ने अपने यहां पुलिस में खाली पड़े पदों का पूरा ब्यौरा दिया है. कोर्ट ने राज्यों में पुलिसकर्मियों के खाली पड़े पदों को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया. जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी समेत 6 राज्यों के गृह सचिव को निर्देश दिया है कि वो रोडमैप बताएं कि आखिर खाली पदों को भरने के लिए क्या प्लान हैं?

ये 6 राज्य वो हैं जहां पुलिस विभाग में सबसे ज़्यादा पद खाली पड़े हैं. इनमे यूपी के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि अगले शुक्रवार को इन राज्यों के गृह सचिव या जॉइंट सेक्रेटरी अदालत में खुद पेश होकर बताएं कि खाली पड़े पदों को भरने के लिए सरकार क्या कर रही है?

कोर्ट ने कहा कि वो 2013 से इस मामले की सुनवाई कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकारें पुलिसकर्मियों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए गम्भीर नहीं हैं. इसलिए अब इन 6 राज्यों के मुख्य सचिव खुद बताएं कि वो क्या कर रहे हैं. अगली तारीख को या तो मुख्य सचिव खुद पेश हो कर बताएं या कम से कम जॉइंट सेक्रेटरी अदालत में पेश हो कर बताएं. अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.

देश भर में पुलिस कर्मियों के 5 लाख से ज्यादा पोस्ट खाली
दरअसल सुप्रीम कोर्ट मनीष कुमार नाम के वकील की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. मनीष कुमार ने याचिका में साल 2015 की रिपोर्ट का हवाला दिया हैं, जिसके मुताबिक देश भर में पुलिस कर्मियों के 5 लाख 42 हज़ार से ज़्यादा पद खाली पड़े हैं जिससे कि ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों पर काम का बोझ ज्यादा है और राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है.

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकारों ने जो रिपोर्ट दाखिल की हैं, उसके मुताबिक यूपी में डेढ़ लाख से ज़्यादा , पश्चिमी बंगाल में 37 हज़ार 325, कर्नाटक में 24 हज़ार 399, झारखण्ड में 26303, बिहार में 34554, और तमिलनाडु में 19,803 पद खाली हैं.

याचिका में पुलिसकर्मियों के वेलफ़ेयर की स्कीमों को बनाने और उनकी दिक्कतों के समाधान के लिए पुलिस कमीशन बनाने की मांग की गई है. याचिका में कोर्ट से ऐसा दिशानिर्देश देने की मांग की गई है, जिससे पुलिसकर्मियों के काम के घंटे तय हो सके और समय-समय पर उन्हें ट्रेनिंग दिए जाने की व्यवस्था हो.

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