किसकी मिलीभगत से चल रहा है नशीली दवाओं का कारोबार!

हरिद्वार। राज्य के युवाओं को नशीली दवाओं का आदी बनाने की जबर्दस्त साजिश चल रही है. इन दवाओं का दुष्प्रभाव ना केवल नौजवानों की सेहत पर पड़ रहा है बल्कि अपराध के मामले भी इसकी वजह से बढ़ रहे हैं. नशीली दवाओं का ये कारोबार उत्तराखंड के मैदानी इलाकों से लेकर पर्वतीय इलाकों में भी अपना जाल फैला चुका है. खासतौर पर हरिद्वार जिले के कई मेडिकल स्टोरों में चोरी छिपे बिक रही ऐसी नशीली दवाएं युवाओं के साथ साथ बच्चों तक भी पहुंच रही हैं. हाल ही में पिरान कलियर में पंजाब और उत्तराखंड की पुलिस ने छापेमारी के दौरान कई मेडिकल स्टोर से प्रतिबंधित नशीली दवाएं बरामद की थीं. लेकिन ड्रग तस्करों का जाल इतना मजबूत है कि मेडिकल स्टोरों पर प्रतिबंधित नशीली दवाइयां बिकने से रोक पाना आसान नहीं है. वो भी तब जब इस मामले में खुद प्रशासन की मिलीभगत की बात की जा रही हो.

कलियर के एक दर्जन मेडिकल स्टोरों पर मारे गये इस छापे में दो मेडिकल स्टोरों में प्रतिबंधित दवा मॉर्फीन, कोकीन आदि की भारी खेप मिली. पुलिस ने दो मेडिकल स्टोर के संचालकों को हिरासत में लिया. एक स्टोर संचालक ने पुलिस को बताया कि उसने रुड़की के एक मेडिकल स्टोर से प्रतिबंधित दवा खरीदी थी. पंजाब पुलिस के हत्थे चढ़े ड्रग तस्कर संजीव कौशल ने पुलिस को बताया कि वह कलियर से मॉर्फ्रीन और अन्य प्रतिबंधित दवाएं खरीदकर पंजाब में बेचने का धंधा करता था. यह भी पता चला है कि नशे के कारोबार करने वाले ऐसे मेडिकल स्टोरों पर बोनफिक्स भी बिकती है जिसे सूंघ कर बच्चे नशे का शिकार हो रहे हैं.

पहले भी कलियर में छापेमारी के दौरान प्रतिबंधित दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं, फिर भी स्वास्थ्य विभाग कलियर के मेडिकल स्टोरों पर नजर रखने में विफल रहा. चर्चा तो यहां तक है कि इस गोरखधंधे में स्वाथ्य विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारी भी संलिप्त हैं. कलियर के कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन मेडिकल स्टोरों पर छापे के दौरान प्रतिबंधित दवाएं मिली हैं उनके यहां ड्रग इंस्पेक्टर को अक्सर आते जाते देखा गया है. उन्हें शंका है कि ड्रग्स का यह अवैध कारोबार विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है जिन्हें इसके एवज में अच्छा खासा महीना मिलता है. सच्चाई क्या है यह तो उच्च स्तरीय जांच कराने पर ही पता चल सकता है. अलबत्ता कलियर से हरियाणा और पंजाब तक नशे का कारोबार जिस बड़े स्तर से किया जा रहा था वह विभागीय सहयोग और मिलीभगत के बिना हरगिज संभव नहीं है. छापेमारी के बाद सील दुकानों को खोल देना और हिरासत में लिये गये लोगों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई अब तक अमल में ना लाना भी लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मामले पर अभी कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

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