उत्तराखंड में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं. दो दिन पहले ही उत्तराखंड-हिमाचल बार्डर पर एक बस के गहरी खाई में गिरने से 44 लोगों की मौत हो गई थी. फिर ये हादसे क्यों नहीं रुकते? उत्तराखंड सरकार पहाड़ में आए दिन होने वाले सड़क हादसों से सबक क्यों नहीं लेती? सबक लेती है तो फिर जांच आयोग से आगे बढ़कर कार्रवाई क्यों नहीं करती? ये कुछ बड़े सवाल हर किसे के जहन में हैं.
विकास नगर से त्यूणी जा रही बस हादसे मे 44 लोगों की मौत के बाद सभी की जुबान पर यही सवाल है कि आखिर उत्तराखंड में सडक हादसों पर लगाम क्यों नहीं लगाई जा सकती है. जिस विभाग के पास सडक हादसों को राकने की जिम्मेदारी है, वह खुद ही चैन की नींद सोया हुआ है. उत्तराखंड में सडक हादसो की प्रमुख वजह ओवर लोडिंग, अनफिट वाहनों पर परिवहन विभाग की कार्रवाई न होने के साथ की बिना हैवी ड्राविंग लाइसेंस के हजारों चालकों के द्धारा वाहन चलाना बताया जाता है.
अगर परिवहन विभाग अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझे और ओवर लोडिंग, अनफिट वाहनों के चलने पर रोक लगाने के साथ ही बिना हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के चालकों को वाहन न चलाने दे तो निश्चित तैार से उत्तराखंड में सडक हादसों पर लगाम लगाई जा सकती है. उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों की माने तो जिस तरह से प्राइवेट अनफिट वाहन प्रदेश की सडकों पर दौड रहे हैं, उसे प्रदेश में सड़क हादसों में इजाफा देखने को मिल रहा है.