पिंक सिटी में चल रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में एक नया विवाद शुरू हो गया है. इस बार मुगल टेंट (Mughal tent) पर बहस शुरू हो गई है. भाजपा नेताओं ने मुगल टेंट का नाम बदलने की मांग की है. दरअसल, हर साल यहां साहित्य पर चर्चा के लिए अलग-अलग स्थल होते हैं, ऐसा ही एक स्थल है मुगल टेंट. इसके नाम को लेकर विवाद उठ गया है. मुगल टेंट का नाम बदलने की बात पर सीधेतौर पर जेएलएफ के आयोजकों ने इंकार कर दिया है.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन राजस्थान भाजपा के विधायक राम लाल शर्मा ने एक वीडियो में कहा, यह आयोजन जयपुर में हो रहा है लेकिन आयोजकों को यह नहीं मालूम है कि राजस्थान की संस्कृति के आधार पर चीजों का नाम देना हमारा कर्तव्य बनता है. महाराणा प्रताप और मीराबाई यहीं के हैं, लेकिन आयोजकों ने गुंबदों का नाम अलग रखा है. इन्हीं गुंबदों में से एक का नाम मुगल टेंट है. ऐसा करके वो वो किस तरह की मानसिकता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. जेएफएफ के आयोजकों को इस भूमि की ऐतिहासिक संस्कृति पर विचार करना चाहिए.
राम लाल शर्मा ने अपने वीडियो में आयोजकों से मुगल टेंट नाम को बदलने के लिए पुनर्विचार करने की बात कही थी. वहीं, भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया ने भी राम लाल के बयान को सही बताते हुए कहा, राज्य में यह फेस्टिवल सालों से किया जा रहा है, लेकिन एक टेंट का नाम मुगल के नाम पर रखकर उन्होंने देश के कई लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है.
इन बयानों पर जेएलफ आयोजक संजय रॉय ने कहा, हमारे कार्यक्रम का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए वो इन टिप्पणियों पर कोई जवाब नहीं देना चाहते. टेंट के नाम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
क्यों बनाया गया मुगल टेंट?
भाजपा नेताओं ने राजस्थान की संस्कृति का हवाला देते हुए मुगल टेंट का नाम बदलने की बात कही थी. इस पर आयोजक संजय रॉय से मीडिया से बातचीत में कहा, राजस्थान में अलग-अलग शासकों का इतिहास रहा है. यहां दो महान राजा, सवाई मान सिंह और जय सिंह भी हुए, जो मुगल साम्राज्य का हिस्सा थे. इसलिए मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि उनके विरोध की वजह क्या है.
उन्होंने कहा, वो विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं और हम अपने आयोजन स्थल का नाम रखने के लिए. टेंट का नाम मुगल क्यों रखा गया, इस पर संजय कहते हैं, जब हमने इस फेस्टिवल की शुरुआत डिग्गी पैलेस से की थी तो यह मुगलों का आयोजन नहीं था. आयोजन स्थल के आर्किटेक्चर और डिजाइन के कारण इसे मुगल टेंट नाम दिया गया है. यहां जितने टेंट हैं सबका साहित्य और विशेष आर्किटेक्चर से जुड़ाव है.