ToFU (थ्रेड्स ऑफ़ फ्रीडम & यू), बेंगलुरु स्थित एक ऐसा स्टार्टअप है, जो कपड़ों की ब्रांडिंग के माध्यम से यौन तस्करी से मुक्त की गई महिलाओं के पुनर्वास के लिए का काम करता है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में मानव तस्करी का केंद्र पश्चिम बंगाल है, जिनमें 81.7% मामलों में वैश्यावृत्ति के लिए नाबालिगों की बिक्री शामिल है। वैश्यावृत्ति के इन मामलों को बढ़ाने का काम यौन तस्करी द्वारा ही मुमकिन है।
भारत में हर आठ मिनट में एक बच्चा गायब हो जाता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के मुताबिक, करीब 40,000 बच्चों का हर साल अपहरण कर लिया जाता है और इनमें से, लगभग 11,000 बच्चों का कभी पता नहीं चल पता। बाल और मानव तस्करी एक वैश्विक मुद्दा है, लेकिन भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है। 2013 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में अपराधों के कम से कम 65.5% मामले मानव तस्करी से संबंधित थे और जिनमें अधिकतर पीड़ित महिलाएं थीं। ज्यादातर मानव तस्करी यौन शोषण से संबंधित होने के साथ-साथ बंधुआ श्रम और अंग व्यापार के लिए की जाती है।
ToFU (थ्रेड्स ऑफ़ फ्रीडम & यू), बेंगलुरु स्थित एक सामाजिक उद्यम है जो कपड़ों की ब्रांडिंग के माध्यम से यौन तस्करी से मुक्त की गयी महिलाओं के पुनर्वास के लिए का काम करता है। ToFU इन महिलाओं को रोजगार मुहैया करा के सामान्य जीवन में लौटने में मदद करता है, ताकि वे सम्मान और आत्मविश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ सकें। ToFU एक परिधान ब्रांड भी चलाता है, जहां कपड़ा निर्माताओं को निश्चित संख्या में आदेश की गारंटी होती है, और बदले में वे पुनर्वासित महिलाओं को रोजगार देते हैं। इस तरह बेंगलुरु में 2015 में ‘थ्रेड ऑफ फ़्रीडम’ (ToF) की स्थापना की गई. ToF मानव तस्करी की पीड़ितों महिलाओँ को एक स्थायी नौकरी और सम्माननीय जीवन जी सकें, इसके लिए आवास प्रदान करता है. यह महिलाओं को प्रशिक्षण और परामर्श के साथ ही रोजगार प्रदान करता है.
TOF (थ्रेड्स ऑफ़ फ्रीडम) मूल संगठन है, जो सामाजिक तौर पर काम करता है। इन्होंने ने ही अपना एक सामाजिक स्टार्टअप शूरू किया और उसे नाम दिया ToFU. ये स्टार्टअप शोषित महिलाओं को गैर-सरकारी बचाव संगठनों, सरकारी एजेंसियों और पेशेवर कपड़ों के निर्माताओं के साथ नौकरी प्रशिक्षण, रोजगार और परामर्श प्रदान करने के लिए काम करता है, जिसकी मदद से पीड़ित महिलाएं किसी भी अन्य नागरिक की तरह सम्मानित जीवन जीने की दिशा में आगे बढ़ सकें। ToFU द्वारा की जाने वाली बिक्री से हुए लाभ को संगठन में वापस कर दिया जाता है, जिससे की पीड़ित महिलाओं को इसका लाभ मिल सके। ज्यादातर मानव तस्करी यौन शोषण से संबंधित होने के साथ ही, यह बंधुआ श्रम और अंग व्यापार के लिए भी की जाती है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मानव तस्करी का केंद्र पश्चिम बंगाल है जहाँ के 81.7% मामलों में वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिगों की बिक्री शामिल है। अच्छी बात ये है कि आज भारत में और दुनिया भर में सैकड़ों ऐसे एनजीओ और संगठन हैं जो मानव तस्करी को रोकने या उसके चक्र में फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए प्रयासरत हैं।
“संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक एजेंसी है ‘यूनाइटेड नेशन्स ग्लोबल इनिशिएटिव टू फाइट ह्यूमन ट्रैफिकिंग’ (UNGIFT) मानव तस्करी के खिलाफ लड़ने वाले सभी हितधारकों के साथ काम करती है, लेकिन जब किसी पीड़ित को मानव तस्करी के इस खौफनाक जाल से बाहर निकाल लिया जाता है, तो उसके बाद उसका क्या होगा, इस पर कई काम नहीं करता और न ही सोचता है। ये संगठन महिलाओं को उनकी तकलीफ से उबरने में मदद तो करते हैं, लेकिन उनकी आगे की ज़िंदगी और स्थायी आजीविका के बारे में कोई मजबूत कदम नहीं उठाया जाता।”
इन महिलाओं का क्या हो? इन्हें सम्माननीय तरीके से आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाये? यही कुछ सवाल 25 वर्षीय प्रीतम राजा के मन में आने शुरू हो गये। वे हिंसा से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए कुछ करना चाहते थे। उन दिनों प्रीतम अमेरिका में जॉर्जिया टेक में अपनी पढ़ाई कर रहे थे। समाजसेवा में उनकी रुचि हमेशा से थी, लेकिन सुनीता कृष्णन की TED talk को देखने के बाद उनकी ज़िंदगी और ज़िंदगी को समझने का नज़रिया पूरी तरह बदल गया। सुनीता कृष्णन (स्वयं एक बलात्कार पीड़ित हैं) ने सेक्स की गुलामी की ज़िन्दगी से महिलाओं और बच्चों को बचाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। इन सबके बाद प्रीतम ने भारत वापस आकर पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए कुछ करने का फैसला किया। वे सुनीता से मिले और दोनों ने इन सबको लेकर ये निष्कर्ष निकाला कि यौन तस्करी से छुड़ाई गई महिलाओं को समाजिक धारा में वापस लाने की ज़रूरत है। प्रीतम कहते हैं, “मैं उन संगठनों के साथ काम करता था, जो घरेलू हिंसा के खिलाफ मुहिम चलाते थे। एक बार मैं एक ऐसी औरत से मिला जिसके पति ने उसे अपने एक दोस्त के साथ सोने के लिए मजबूर किया था, क्योंकि वो अपने दोस्त से एक शर्त हार गया था। इस तरह की कहानियों ने मुझे अंदर तक हिला दिया था, फिर मैंने महिलाओं की परेशानियों पर पढ़ना शुरू किया।”
‘थ्रेड्स ऑफ फ्रीडम‘ की शुरूआत प्रीतम राजा, सौमिल सुराणा और आदर्श नूनगौर ने की है। प्रीतम का पालन-पोषण मस्कट, ओमान में हुआ था। यौन तस्करी की शिकार महिलाओं को लेकर वे काफी दुखी थे। विशेष रूप से सुनीता कृष्णन की वो बात, जिन्होंने उनका जीवन बदल दिया और वे अमेरिका से अपनी आकर्षक नौकरी छोड़कर भारत आ गये। प्रीतम कहते हैं “मैं सुनीता कृष्णन से मिलने हैदराबाद गया और कुछ संगठनों से बात की, कि हम किस तरह मदद कर सकते हैं और हमें एहसास हुआ कि हम महिलाओं को मुक्त करने के बचाव अभियान में भाग लेने के लिए पूरी तरह से तैयार ही नहीं थे।”
ToFU चाहता है कि वो अपनी योजना का विस्तार करते हुए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को ToFU से जोड़े और पीड़ित महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा मदद कर सके। अमेरिका में किए गए एक जनसमूह द्वारा कोष जुटाने के अभियान के माध्यम से ToFU ने 25,000 डॉलरजुटाए हैं और वर्तमान में ये राशि कर्नाटक में अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए उपयोग की जा रही है, साथ ही कंपनी महिला एवं बाल विभाग, कर्नाटक सरकार, अंतर्राष्ट्रीय न्याय मिशन, और स्नेहा और विद्यारण्या जैसी संस्थाओं के साथ काम कर रही है।
प्रीतम कहते हैं, “हर साल 3,000-4,000 पीड़ितों को देश में सेक्स तस्करी के रैकेट से बचाया जाता है और हम उन सभी तक पहुंचना चाहते हैं।” अब तक, ToFU ने अनगिनत महिलाओं को रोजगार दिया है। यौन तस्करी की शिकार हर वो महिला जो इनके संपर्क में आयी उन सभी को रोजगार दिया जा चुका है। अब वे सभी नियोजित हैं और बेहतर ज़िन्दगी की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। संगठन वर्तमान में अपने भागीदारों के माध्यम से अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार देने की स्थिति में है।