दुनिया भर में मशहूर सहारनपुर के लकड़ी की नक्काशी के कारीगरों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ से इस कला को बचाने की गुहार लगाई है। सहारनपुर के हस्तशिल्पियों ने मुख्यमंत्री से आरा मशीनों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से उनके उद्योग को अलग रखने की गुजारिश की है। कारीगरों का कहना है कि अभियान की आड़ में प्रशासन उनके उद्योग के लिए जरूरी छोटी क्षमता वाली आरा मशीनों को भी बंद करा रहा है। इस अभियान के चलते बीते 15 दिनों से सहारनपुर में नक्काशी का काम बंद हो गया है।
सहारनपुर के नक्काशीदार फर्नीचर और लकड़ी के सामान की देश-दुनियां में भारी मांग है। इस कुटीर और हस्तकला उद्योग से करीब एक लाख कारीगर-मजदूर जुड़े हैं। सहारनपुर का खास नक्काशीदार लकड़ी का फर्नीचर खाड़ी देशों के साथ ही यूरोप में निर्यात होता है। ये कारीगर वन निगम के डिपो से नीलामी के जरिये लकड़ी खरीद कर अपनी आजीविका चलाते हैं। सहारनपुर सदर विधायक संजय गर्ग के मुताबिक लकड़ी के कारीगर तीन हॉर्स पावर की छोटी मशीनों पर काम करके लकड़ी की नक्काशीदार शानदार कलाकृतियां तैयार करते हैं। हाल ही में अवैध आरा मशीनों के खिलाफ प्रदेश सरकार के शुरू हुए अभियान की जद में इन छोटी आरा मशीनों को भी ले लिया गया है, जिससे लाखों कारीगरों के सामने आजीविका चलाने का संकट खड़ा हो गया है।
विधायक ने सहारनपुर के लकड़ी कारीगरों के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुख्य सचिव राहुल भटनागर से मुलाकात कर इस दिक्कत को सामने रखा और हस्तशिल्प बचाने की मांग की। उन्होंने कहा कि नक्काशी का 70 फीसदी काम तो अब फाइबर बोर्ड से निपट जाता है। गर्ग ने कहा कि तीन हार्स पावर की मशीनों को आरा मशीन अधिनियम 1978 से मुक्त रखते हुए इसे लाइसेंस प्रक्रिया से अलग रखा जाए। उन्होंने कहा कि नक्काशीदार लकड़ी तैयार करने वाले कारीगरों की मशीनें गोल लकड़ी की चिराई करने और उनकी शक्ल बदलने में सक्षम नहीं है।