क्यों इतने फिट हैं अनिल अंबानी

भागदौड़ भरी ज़िंदगी में समय की कमी का बहाना बना कर अपनी सेहत को नज़रअंदाज करना सबसे आसान काम है, लेकिन देश के सबसे अमीर बिज़नेस मैन अनिल अंबानी एक ऐसा उदाहरण हैं जो तमाम व्यस्तताओं के बावजूद अपनी फिटनेस को समय देना नहीं भूलते। उनके लिए सबसे पहले उनकी सेहत है, बाकि सब उसके बाद।

ये बात शायद कम ही लोगों को मालूम हो, लेकिन ये सच है कि अनिल अंबानी ने दौड़ से अपना एक तिहाई वजन कम किया था।

अनिल अंबानी के लिए दौड़ना आध्यात्मिक साधना की तरह है। लोग भले ही उन्हें बिज़नेस टायकून के रूप में पहचानते हैं, लेकिन वे खुद एक मैराथन रनर कहलाना पसंद करते हैं। खुद को चुस्त और फिट रखने के लिए अनिल अंबानी हर दिन 15 किलोमीटर से ज्यादा की दौड़ लगाते हैं। जब लोग सुबह सपनों की दुनिया में खोये रहते हैं, सूरज दिखाई भी नहीं पड़ता, उस वक्त वे जॉगिंग शू पहन कर या तो मुंबई की सड़कों को नाप रहे होते हैं या फिर अपने घर में रखी ट्रेडमील पर पसीना बहा रहे होते हैं।

अनिल अंबानी कहते हैं, कि ‘मैं कितना भी व्यस्त रहूं, लेकिन सुबह 3:30 से 4 बजे के बीच मेरी आंख अपने आप खुल जाती है। जागने के लिए मैंने कभी अलार्म का सहारा नहीं लिया।’ रनिंग उनके जीवन में सिर्फ एक्सरसाइज़ ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना की तरह है। आध्यात्मिक साधना यानि की खुद की खुद से मुलाकात। रनिंग से इस तरह की मोहब्बत को अनिल ने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। इसके बिना वो खुद को अधूरा मानते हैं।

खुद को फिट रखने के लिए अनिल अंबानी हफ्ते में 6 दिन रनिंग करते हैं, पांच दिन घर में ट्रेडमिल पर दौड़ते हैं और एक दिन बाहर। वे कहीं भी चले जायें, लेकिन अपने रूटीन में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं करते। रनिंग तो उन्होंने अपने कुछ स्वास्थ्य कारणों से शुरू की थी, लेकिन अब रनिंग उनकी ज़िंदगी का हिस्सा बन गई है। अपने फिटनेस रूटीन की सबसे बड़ी प्रेरणा वे अपने पिता धीरूभाई अंबानी को मानते हैं। अनिल के अनुसार, ‘मेरे पिता हमेशा कहते थे कि तुम पैसों से अच्छे कपड़े, अच्छा खाना तो खरीद सकते हो लेकिन अच्छी सेहत नहीं।’ पिता की कही इन बातों का अनिल के व्यक्तित्व पर खासा प्रभाव पड़ा है और इसी के चलते वे अपने स्वास्थ्य को लेकर इतने जागरुक रहते हैं।

एक समय था जब अनिल अंबानी का वजन 100 किलो से भी ज्यादा था। जिस तरह वे आज दौड़ते हैं अपने शरीर को फिट रखने के लिए उस तरह दौड़ना तो दूर वे सौ किलो से ज्यादा वजन में ठीक तरह से चल भी नहीं पाते थे। रनिंग से अपने शरीर का एक तिहाई वजन घटा कर उन्होंने दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है, कि यदि दृढ़निश्चय और इच्छा शक्ति आपके पास है तो आप कुछ भी कर सकते हैं, फिर बात चाहे दुनिया में अपने काम को लेकर धमाल मचाने की हो या फिर अपने लुक्स से लाखों को दिवाना करने की।

निराशा, परेशानी, उदासी और डिप्रेशन को खतम करने के लिए कुछ लोग तंबाकू का सहारा लेते हैं, तो कुछ लोग शराब का, लेकिन अनिल अंबानी अपने हर तरह के स्ट्रैस को दूर करने के लिए दौड़ते हैं। उन्हें किसी और चीज़ का नहीं, बल्कि रनिंग का नशा है।  रनिंग उनके लिए सभी निराशाओं को दूर करने का माध्यम है। दौड़ना न तो उनका पेशा है और न ही वे कोई एथलीट हैं, लेकिन फिर भी वे खुद को फिट रखते हैं और पेशेवर खिलाड़ियों के साथ दौड़ते हैं। अनिल लोगों तक ये संदेश पहुंचाना चाहते हैं, कि ‘एक जोड़ी शू खरीदें और खुद को समय दें। फिर देखें आप क्या कर सकते हैं।’

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